AMITSHRI

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम. कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती.

शनिवार, 2 जून 2012

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Posted by AMIT at 11:29 pm
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