सोमवार, 12 सितंबर 2011

Aaj Ki baat

   "आज" एक ऐसा लफ्ज़ जिसमे जीने के लिए हम अपना भूत और भविष्य दोनों भूल जाते है | हम ना बीते हुए कल से सीखते है और ना ही आने वाले कल के बारे मैं सोचते और इसी तरह हमारी ज़िन्दगी अपने अंतिम पर्व में पहुँच जाती है.| अंतिम समय में हम पछतावे के अलावा कुछ नहीं कर सकते .अगर आप अपने इच्छाओं और अकान्छाओं को अपने अनुसार पूरा करना चाहते है तो अपने अन्दर के डर को हटाना पड़ेगा |.जिसे भविष्य का भय नहीं रहता, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है| स्वामी विवेकानंद के अनुसार भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है |चाणक्य कहते है जैसे ही भय आपकी ओर बढ़े, उस पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दो | जो चुनौतियों का सामना करने से डरता है, उसका असफल होना तय है|संकल्प और सकारात्मक आत्मअनुशासन से आप अपने डर को दूर कर सकते हैं |

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