गुरुवार, 15 सितंबर 2011

करियर

सपना टूट गया... सब ख़त्म हो गया और भविष्य अंधकारमय हो गया... आजकल  जरा-सी असफलता मिलने पर लोगों के  मन में यही विचार आने लगते हैं और खासतौर पर अगर बात करियर की हो, तब मामला और भी गंभीर हो जाता है। स्वयं को किसी परीक्षा के लिए तैयार करना अपने आप में एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मन मारने से लेकर मनोवैज्ञानिक तौर पर स्वयं को तैयार करने की बात आती है।  स्वयं के प्रति आशाओं और आकांक्षाओं का नया दौर आरंभ हो जाता है | पर सभी को सफलता नहीं मिलती और असफलता से सामना हो ही जाता है। यह असफलता कई को भीतर तक तोड़ देती है, अवसाद उन्हें घेर लेता है ।  दोस्तो, करियर की डगर में भेड़चाल चलना या दबाव में आकर ऐसे करियर के लिए प्रयास करते रहना, जिसमें आपका दिल न लगता हो, समय को व्यर्थ करना ही है। अपने आपसे लगातार प्रश्न करते रहें और जो स्वयं को अच्छा लगता है उसी करियर को अपनाएँ। दुनिया में डॉक्टर, इंजीनियर,MBA बनने के अलावा भी बेहतरीन विकल्प मौजूद हैं।पैसे को ही देखकर करियर सेलेक्ट ना करें।अगर आप भीतर के डर को निकाल फेंकें और स्वयं की गलतियों को स्वीकार कर नए बदलाव की ओर जाने के लिए अग्रसर हों तब सफलता निश्चित मिलती है और अगर आप इस डर को नहीं निकाल पाए और हरदम बदलाव का विरोध ही करते रहे तब आपको भी बदल दिया जाएगा। थोड़ा सोचें, समझें और फिर अपने करियर की ओर तेजी से कदम बढ़ाएँ और फिर सपने पूरे करें और इसका ध्यान रखें कि इन सपनों में केवल वे ही न हों, बल्कि उनके माता-पिता भी हों और तमाम वे रिश्तेदार और दोस्त हों जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के अपना माना हो।

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